चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है…” और मैं तुम्हें अपने सपनों में पुकारता हूँ। तन्हाई के पलों में, खुद से मिलने का मन होता है, जब तेरे होते हुए भी किसी और ने तसल्ली दी मुझे। कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे मैं ख़याल हूँ किसी https://youtu.be/Lug0ffByUck