वन उपवन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं । चिन्टू सेवक द्वारा गाया हनुमान चालीसा जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥ भक्त का भाव ही प्रभुको प्रिय है - प्रेरक कहानी Despite his mischief, Hanuman’s heart was pure, and https://hanumanshabharmantra11000.affiliatblogger.com/84862364/top-hanuman-aarti-secrets